ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग।
नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।।
बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान।
गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।।
चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच।
बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।।
सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान।
सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।।
देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान।
बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान।
-हेमलाल साहू
छन्द साधक सत्र-01
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)
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