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जुबान (कुंडलिया छंद)

निकले वापस फेर ना, आवय तोर जुबान।

जइसे निकले तीर ले, आवय नहीं कमान।।

आवय नहीं कमान, बात ला छेड़व गुनके।

शारद दे आशीष, शब्द ला रखलव चुनके।।

कहे हेम कविराय, बोल तँय गुरतुर मन ले।

सब कड़वाहट फेक, फेर ना वापस निकले।।

- हेमलाल साहू

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

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