सुन साथी रे सुन संगी रे, सुन ले मोरे मितवा।
आ जाबे रे आ जाबे रे, मोर जनम के हितवा।।
जग हा सुन्ना मोला लागे, सुरता दिन भर आवै।
तोर बिना जग बइरी होंगे, अबतो मन नइ भावै।।
बोझ लगै जिनगी हा मोरे, सावन भादो लगथे।
आँखी ले पानी हा मोरे, तर तर तर तर बहथे।।
मोर कटत हावे जिनगी हा, तोरे रस्ता देखत।
आस हवै तोरे दरशन के, बइठे हव मन झेलत।।
खाना पानी नई सुहावे, जग मा मन नइ भावै।
दूखन भूखन जिनगी कटथे, पगली जगत बुलावै।।
हवै ठिकाना का जिनगी के, आजा रे अब जोही
कहाँ लुकागे तैहा बनके, जग मा गा निरमोही।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा,
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो.9977831273
टिप्पणियाँ