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होरी के संग जोही के सुरता

देख महीना फागुन आगे, मन नइ भावे मोर।
चढ़ै नशा फागुन के हावे, रंग मया के तोर।।

रोज रोज के सपना आथे, दिल मा उठै हिलोर।
रहिथे मोरे मन उदास गा,  सुरता आथे तोर।।

बइठे रद्दा जोहत हव मँय, आजा जोही मोर।
तोर बिना सुन्ना हावे गा, गाँव गली ए खोर।।

आ ले जाबे पुरवाही तँय, संदेसा ला मोर।
पहुँचा के दे आबे मोरे, मया प्रीत के सोर।।

तोला जोहत जोहत जोही, आय बसन्त बहार।
फुलगे फूल देख परसा मा, आमा मउरे डार।।

अबतो आजा जोही मोरे, काबर तय तरसाय।
होरी के आगे तिहार हा, काबर तय दुरिहाय।।

लाल लाल हे रंग उड़त गा, बजत नगाड़ा ढोल।
भेजे हव संदेश मया के, अबतो आँखी खोल।।

मोरे आँखी खोजे तोला, राखे मया अपार।
होरी आगे अबतो आजा, घर लागत हे खार।।

-हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा,
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो.9977831273

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