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बरवै छन्द

*महँगाई *

बाढ़े भावे कसके, हर दिन साल।
बइरी महँगाई हा,  बनके काल।।

झार गोंदली मारत, बइठे हाट।
होवय चर्चा जेकर, रस्ता बाट।।

लाल लाल होवत हे, सबके आँख।
मिरचा बइरी देवत, कसके काँख।।

रोवात हवय सबला, देख पताल।
संग कोचिया रहिके, करें बवाल।।

जनता  के मरना हे, बाढ़त दाम।
काम धँधा तो नइहे, फोकट राम।।

नेता  मन सब बइठे  देखत हाल।
अपन भरे बर कोठी, चलथे चाल।।

शासन ला का चिंता, भष्टाचार।
परगे महँगाई के, सबला मार।।

*मोर मया के पाती *

मोर मया  के पाती,  ले  संदेश।
सबला बढ़िया राखे, मोर गनेश।

बबा डोकरी दाई, जय सतनाम।
बाबू दाई दीदी, करवँ प्रणाम।।

भैया भाभी संगी, कर स्वीकार।
भेजत हव संदेशा, जय जोहार।।

घर अउ अँगना बढ़िया, होही मोर।
सपना देखत रहिथव, रतिहा जोर।।

बने मनाबो मिलके, हमन तिहार।
आहू  देवारी  मा, दिन  गुरुवार।।

दीया हमन जलाबो, घर अउ द्वार।
लाबो बढ़िया जग मा, नव उजियार।।

जगमग जगमग होवय, घर अउ खोर।
पढ़य लिखय नोनी अउ, बाबू मोर।।

राखय सबला बढ़िया, खुश भगवान।
आगू जावय बढ़िया,  मोर  किसान।।

सबझन ला पायलगी, अउ जय राम।
मोर कलम ला  देवत,  हव विश्राम।।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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