चिरई मन के जिहाँ बसेरा, गिधवा हावय मोरे गाँव।
बर पीपर अउ रुख राई के, मिलथे भैया सुघ्घर छाँव।।
महमाई करथे रखवारी, बइठे सुघ्घर तरिया पार।
सुख दुख मा दाई ला सुमरे, आय गाँव के तारनहार।।
हवै गाँव मा धुर्रा चिखला, माटी पेवर आय कन्हार।
धरती दाई हाँसत रहिथे, कर हरियर हरियर श्रृंगार।।
रहै जिहाँ भुइँया के बेटा, भैया जेला कहै किसान।
खेती जेकर जिनगी जानव, जेमा ओकर बसे परान।।
उठती तरिया बुड़ती तरिया, भइया पाबे चारो धाम।गावव महिमा अपन गाँव के, सुरुज देव ला करँव प्रनाम।।
-हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट- नगधा,
तहसील- नवागढ़, जिला - बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. 9977831273
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