नारी जग के देबी भैया, झन करहूँ जी अत्याचार।
दुरगा काली लछमी देबी, बनके आथे अँगना द्वार।।
जेकर घर नारी के पूजा, बसथे उहाँ सबो भगवान।
हो अपमान जिहाँ नारी के, उहाँ बसेरा ले शैतान।।
अबला नारी जान समझ के, झन देबे तैहा ललकार।
अपन सहत ले सहिथे भैया, बन जाथे ओहा तलवार।।
भागे पापी तरथर काँपै, धरै रूप ला जब विकराल।
सबला कटकट मारे काटे, बनथे पापी मन के काल।।
काल भैरवी रूप जान ले, झन करबे तैहा अपमान।
पाबे सुख के जिनगी भैया, देवी के मिलही वरदान।।
करथे विनती भाई तोरे, नारी के करबे सम्मान।
बनै जगत हा नर नारी से, राखव भैया जग के प्रान।।
- हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. 9977831273।
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