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वीर नारायन सिंह (आल्हा छंद)

गावत हावँव महिमा भैया, सुनव वीर नारायण के आज।
अपन देश बर जे शहीद हो, बढ़िया करिस हवय गा काज।1।

सन सत्रह सौ पँचानबे  मा, नारायण लिस हे अवतार।
ददा रहिस हे रामराय हा, अपन राज के माल गुजार।2।

परम वीर नारायन जनमे, पावन भुइँया सोनाखान।
दान दया के भाव धरे गा, रहिस हवय भारी बलवान।3।

तरथर काँपत बइरी भागे, गरजे  जब  गा नारायन  वीर।
मानवता के रहिस पुजारी, हरत रहिस हे सबके पीर।4।

पता चलिस नारायन ला जब ,नगर घुसे नरभक्षी शेर ।
दूर करै बर जनता के दुख,  बघवा ला करदिस वो ढेर ।5।

जन जन के सँगवारी मितवा, साँच प्रेम के बाँटय गोठ।
सब जनता ला एक करय गा, गुत्तुर बानी हिम्मत पोठ।6।

लड़िस लड़ाई आजादी बर, नारायन मारिस ललकार।
होस उड़ागे बैरी मन के, जब निकलिस धरके तलवार।7।

सब कोती पड़गे सूखा हा, मचगे भारी हाहाकार।
बिनती करथे जमाखोर से, तब मानिस नहीँ जमीदार।8।

धावा बोलिस जमाखोर घर, लानिस हावे  सबला लूट।
जमाखोर मन बइरी बनगे, जन जन मा डालिस ओ फूट।9।

बनगे नारायन आरोपी, मिटा ब्रिटिश मन के सब शान।
नारायन ला बन्दी करदिस, धोखा मा रख बेईमान।10।

रइपुर के चौराहा मा जी, देदिस ओला फाँसी टाँग।
फेर उड़ादिस ओला तोप म, करे रहिस गोरा मन माँग।11।

हाँसत हाँसत नारायन हा, होइस माटी बर आजाद।
पक्का बेटा भुइँया के ओ, ओकर आही हमला याद।12।

- हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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