करथे लीला देख, बना के हमला पुतरी।
लीलाधर के हाथ, रहै लगाम के सुतरी।।
माया के ए जाल, देख नइ पाये आँखी।
हावे आत्मा अमर, भरै बिद्या के साखी।।
सुघ्घर खेलन खेल, रहै भइया ठठ्ठा के।
संगी साथी साथ, सबो पुतरी पुतरा के।।
आगे मोला समझ, बने जिनगी आत्मा के।
आथे बचपन याद, बने पुतरा कुरता के।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. 9977831273
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