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छेरी (रोला छन्द)

लबलबही तो होय, जन्म के जानव छेरी।
चरके कतको आय, जाय फिर घेरी बेरी।
तीन रंग के होय, सफेद खैर अउ कारी।
आँखी जेकर तेज, बोल  मैं  मै के भारी।।

आमदनी हा बढ़य, करव पालन जी छेरी।
बढ़िया साधन आय, करव झन भैया देरी।।
छेरी  करव  व्यपार,  माँग  एकर  हे भारी।
काँटव  चाँदी  रोज, पाल के  छेरी  कारी।।

छेरी जेकर द्वार , भाग  जागे जी  ओकर।
दूध माँस के संग, मिलै  आमदनी ओवर।।
एक  ठने  इक्कीस, होय घर मा जी छेरी।
करय  गरीबी  दूर, बचत के हावय फेरी।।

छेरी घर  में राख, हवै भैया उपयोगी।
देख दूध अउ मूत, काम लेवय हर रोगी।।
ताकत  देवय  दूध, मूत से घाँवे मिटथे।
छेड़ी लेड़ी जाय, खेत मा ऊपज बढ़थे।।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जुबान (कुंडलिया छंद)

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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग। नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।। बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान। गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।। चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच। बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।। सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान। सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।। देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान। बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान। -हेमलाल साहू छन्द साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)