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बनव जगत के अंजोर(आल्हा छन्द)

भूतह भागे बइरी काँपै, भगत काल काली के आँव।
मारव पापी पारव काठी, का बचॉव अउ काला खाँव।

मनखे रोवत हावय भोगत, अपन करम के पाये भाग।
जइसन बोवत तइसन पावत, जिनगी मा नइ पाये जाग।।

रखै कपट ला काबर मन मा,  देख आज के सब  इंसान।
अपने खोवत अपने पावत, जगत नई पाइस पहचान।।

फसगे हे माया मा मनखे, देवय ओला कोन बताय।
ए अमर हवै आत्मा भैया, कइसे मनखे समझ न पाय।।

नहा पून्य के तँय गंगा मा,  होवय जी मन चंगा तोर।
जिनगी ला जानव भैया हो, बनव जगत के तुम अंजोर।।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, 9977831273

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