जगत जानही जान, छंद ला छत्तीसगढ़ी।
रखही जम्मो मान, छंद के तो नाव बढ़ी।।
पूरा सपना होय, एकदिन जग हा जानय।
भाव मया के राख, छन्द के भागे जागय।।
रीत नवा ला देख, बफा सिस्टम हा आये।
मनखे बनगे कुकुर, देख घूम घूम के खाये।।
भुलगे पंगत देख, विदेश रीत ला लाये।
जुन्ना संस्कृति हमर, सबो हा देख धराये।।
भैया करहू माफ, हेम करत हवै अरजी।
मनके हावव साफ, फेर नो हव में फरजी।।
गलती होइस मोर, आँव भाई में तोरे।
में देखत रहिगेव, दांत ला अपन निपोरे।।
बढ़िया सोच बिचार, ममन चिंतन कर भाया।
जिनगी हावय गणित, सीख ले एकर माया।।
गुना भाग के खेल, पून्य जोर अपन संगी।
हवय मेहनत सार, दूर होवय सब तंगी।।
बासी चटनी नून, सुनव गावत हव गरिमा।
सेहत के हे राज, देख खाके जी महिमा।।
हवै नसीहत सुनव, हेम हा सबला देवत।
खावव भैया खूब, बनय बढ़िया गा सेहत।।
बइला गाड़ी चलय, धान बोझा ह भराये।
आगू हवय किसान, किसानी गीत ल गाये।।
लाली अऊ सफेद, दुनो बइला हे साथी।
बइला जाँगर देख, फ़ैल बड़े बड़े हाथी।।
नया साल के रंग, दू हजार आय सतरा।
सोला भागे भाग, सबो टलगे अब खतरा।।
मिलने साहित्यकार, होइस हे तुर्री धामे।
पिकनिक होंगे अमर, याद में रइही नामे।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. 9977831273
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