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आवव संगी (हेम के सार छंद)

आवव संगी आवव साथी, अंजोर नवा लाबो।

छाँव मया के संगी आवव, माटी मा बगराबो।।


हमर सोनहा भुइँया ला जी, सुघ्घर सरग बनाबो।

छत्तीसगढ़ी माटी मा जी, नव बिहान ला लाबो।।


सबो डहर संगी माटी के, मँहक हमन मँहकाबो।

पावन हवय हमर भुइँया हा, सुघ्घर मया जगाबो।।


अपन भरोसा हम जाँगर के, नव विकास ला गढ़बो।

पुरखा के सपना ला संगी, मिलके पूरा करबो।।


जय किसान अउ जय जवान के, नारा सफल बनाबो।

भुइँया के सेवा कर संगी, जिनगी अपन बिताबो।।


आगे हावय दिन बादर हा, माटी करजा छुटबो।।

पढ़ लिख अउ गढ़ मुख भाषा मा, खूब मया ला लुटबो।


-हेमलाल साहू

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

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