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आवव संगी (हेम के सार छंद)

आवव संगी आवव साथी, अंजोर नवा लाबो।

छाँव मया के संगी आवव, माटी मा बगराबो।।


हमर सोनहा भुइँया ला जी, सुघ्घर सरग बनाबो।

छत्तीसगढ़ी माटी मा जी, नव बिहान ला लाबो।।


सबो डहर संगी माटी के, मँहक हमन मँहकाबो।

पावन हवय हमर भुइँया हा, सुघ्घर मया जगाबो।।


अपन भरोसा हम जाँगर के, नव विकास ला गढ़बो।

पुरखा के सपना ला संगी, मिलके पूरा करबो।।


जय किसान अउ जय जवान के, नारा सफल बनाबो।

भुइँया के सेवा कर संगी, जिनगी अपन बिताबो।।


आगे हावय दिन बादर हा, माटी करजा छुटबो।।

पढ़ लिख अउ गढ़ मुख भाषा मा, खूब मया ला लुटबो।


-हेमलाल साहू

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जुबान (कुंडलिया छंद)

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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

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