जिनगी के तो भोगना, लिखै दियै भगवान हा।
कथनी करनी ला बने, दिखे नहीं इंसान हा।।
आँखी रहिके अंधरा, कइसे बनगे ज्ञान हा।
राज दोगला हर करै, हाँसत हे शैतान हा।।
दुख पीरा ला भोग थे, जिनगी होंगे जंग गा।
मारत हावय अउ मरे, देखव मनखे रंग गा।
कहाँ जियत मा पूछथे, कोनो बेटा बाप ला।
मर जाथे ता धोत हे, मनके अपने पाप ला।।
कलजुग के दुनिया हवे, करै दिखावा लोग हा।
आँसू पइसा मा बिके, अन्तस नइहे सोग हा।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)
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