राजनीति मा दोगला, करे देख ले राज।
आँखी रहिके अंधरा, होगे हवे समाज।।
दुख पीड़ा पावच नहीं, मानवता ला खोय।
दूसर के जाँगर रहय, अपन नाव ला बोय।।
पइसा मा देखव इहाँ, मानवता बेचाय।
रुखवा काँटे सोझवा, छोड़ लेड़गा जाय।।
जगह जगह मा कोकड़ा, डेरा हवे जमाय।
ताकत बइठे ओ हवे, मउका फेर ग आय।।
कउनो बेद पुरान के, कहाँ रखे हे ज्ञान।
आँखी रहिके अंधरा, बनगे हे इंसान।।
-हेमलाल साहू
ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)
टिप्पणियाँ