मनखे मनखे एक हन, कहिस कबीरा जान।
मिलै नहीं गुरु के बिना, सुनलव संगी ज्ञान।।
सुन लौ संगी बात ला, फेर करव जी गोठ।
मिलथे सीख सियान के, रखे बात ला पोठ।।
कारज ला पहली करौ, फेर राख अधिकार।
जइसे धान किसान बो, फेर लुये सब खार।।
अच्छा बात सकेल के, एक एक रख बात।
गुरु के चलहूँ संग ता, खाव नहीं जी लात।।
मउहा संगी जान ले, अबड़ दूर ममहाय।
झूठ लबारी के सबे, माया हे फइलाय।।
भटकत रहिथे देख मन, कौन करे जी माफ।
गुरु के बानी हर करें, मन ला सुघ्घर साफ।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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