कार्तिक अघ्घन पूस मा, लुवई मिसई आय।
मिले नहीं आराम हा, कसके रोज कमाय।।
धरके जावय हंसिया, खेत लुये ला धान।
पाही पाही धर लुये, करपा माढ़य घान।।
पूरा लाने धान के, डोरी गजब बनाय।
करपा लान सकेल के, बोझा बाँध बनाय।।
बइला गाड़ी धान भर, बोझा बोझा जोर।
मेड़ पार ला खेत के, लावन रावन फोर।।
गाड़ी ला कोठार मा, लान खड़ा कर तीर।
सुघ्घर खरही गाँज ले, मढ़ा मढ़ा के धीर।।
छोल चाच चतवार के, सुघ्घर हवे बनाय।
खवरावय कोठार झन, गोबर लेप चटाय।।
गोबर पानी डार के, लिप ले तँय कोठार।
झेल कलारी हाथ मा, पैर धान के डार।।
बेलन अउ दवरी चले, बइला ला खेदार।
बीच बीच मा कोड़ के, बने धान ला झार।।
पैरा सबो निकाल के, गोल गोल के गाँज।
पैरावट सुघ्घर दिखे, रखले भइया साज।।
जम्मो धान सकेल के, एक जगा मा लान।
पँखा लगा के तँय उड़ा, बाचय दाना धान।।
बोरा भरके धान ला, घर के कोठी डार।
लक्ष्मी के पूजा करें, घर भर दे भण्डार।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)
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