संत महात्मा ये भुइँया के, सुघ्घर लाइस नवा उजास।
माता रहिस हवे अमरौतिन, ददा रहिस हे महँगू दास।
माह दिसम्बर रहिस अठारह, सन सतरा सौ छप्पन जान।
लेइस घासीदास जन्म ला, मनखे बर बनके भगवान।।
बाबा सत के रहिस पुजारी, बनिस गिरौदपुरी हा धाम।
होगिस हावय पावन भुइँया, सबो डहर गूँजय सतनाम।।
बाबा तँय अड़हा बइला मा, सुघ्घर गुन हवस जगायेंव।
काँटे साप बुधारू ला ता, करके चमत्कार जियायेंव।।
बइठे छाता के पहाड़ मा, बाबा अपन धुनी ला रामाय।
सत रद्दा मा चलके बाबा, नाम जगत मा सत फैलाय।।
अवरा धवरा पेड़ मेर तँय, बइठ ज्ञान ला सुघ्घर पाय।
मनखे मनखे समान हे कहि, भेद भाव ला हवस मिटाय।।
माह दिसम्बर अमर जयंती, गाँव गाँव मा तोर मनाय।
जैतखाम हा तोर निसानी, सत के झण्डा ला फहराय।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)
टिप्पणियाँ