नाती बर हावय मया, सुनव बबा के गोठ।
मुर ले जादा ब्याज बर, हवे मया गा पोठ।।
नाती समझे ना मया, बोलय ना जी सोज।
रोवय आँसू चार जी, नाती बर गा रोज।।
जबले जाँगर हा थके, होगे हे मजबूर।
बनगे पूत कपूत हे, होय मोर ले दूर।।
जिनगी मा नइहे इहाँ, जीये के कुछ आस।
देख देख जेला रहे, उहि नइहे जी पास।।
बुढ़वा मनखे के इहाँ, देख हवय का मान।
सबके लइका आज तो, बनगे हे अंजान।।
रखले सुघ्घर ख्याल ला, पारत हव गोहार।
कहना मोरो मान लव, मिलथे मया अपार।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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