देख इहाँ परदेसिया, अपन करत हे राज।
बनके ढोंगी कोकड़ा, लूटत हावय आज।।
चाँउर रुपया एक दे, अपन बनावै काज।
दारू अड्डा खोलके, देख करत हे नाज।।
बनगे छत्तीसगढ़िया, मनखे आज अलाल।
चलत हवे परदेसिया, देखव बिघवा चाल।।
देखव लइका ला करे, भात खवा बीमार।
पढ़य झने छत्तीसगढ़िया, बने रहे गंवार।।
भुइँया दाई मोर जी, रोवत हावय आज।
टपटप आँसू हा गिरे, मोर बचालव लाज।।
तोला भइया देख ले, करत हवय गोहार।
जागव बेटा मोर रे, झन सो मुँह ला फार।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
टिप्पणियाँ