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दया मया बेटी के (हेम के आल्हा छंद)

दया मया बेटी के हावय, सबला मानय अपने जान।

अति भूखाये देख बबा ला, नोनी करत अन्न के दान।।


देख दया अतका नोनी के, अंतस ले करथे परनाम।

श्रद्धा से आसूँ छलकत हे, तँय नेक करे नोनी काम।।


बेटा मोरो हावय नोनी, नइ आइस ओकर कुछु काम।

जाँगर रहिते पूछिस मोला, अब करथे ओहर बदनाम।।


जिनगी भर राखे हव पूँजी, पाई पाई मँय हर जोर।

नइहे कउनो मेर ठिकाना, किंजरत रहिथौ खोरे खोर।।


नोनी कहिस बबा झन होबे, तँय मोरो से कभू नराज।

बड़ भागी वो मानुष होथे, जेला मिलथे सेवा काज।।


बेटी बेटा सबो एक हे, राखव झन एमा जी भेद।

नर नारी से बसथे दुनियाँ, बेटी बर काबर हे खेद।।


सबके बेटी एक बरोबर, झन करहूँ एकर अपमान।।

मान हेम के कहना संगी, सब रखिहौ बेटी के ध्यान।।


-हेमलाल साहू

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

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