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संदेश

हेम के दोहे

1) खुल्ला हरव किताब मँय, पढ़के लेबे देख। हेम मोर नावे हवे, लिखथव कविता लेख।। 2) नगधा मोरे पोस्ट हे, गिधवा हावय गाँव। जिला हवय बेमेतरा, जिहाँ मया के छाँव।। 3) महमाया दाई रखे, किरपा अप...

*सुखी सवैया*

सुमता रखले घर मा बढ़िया, परिवार सुखी रइही जिनगी भर। मिलके रहिबे सबके सुनबे, तबतो चलही भइया जिनगी हर। रख एक बरोबर गा सबला, इहि मान कमालव जी जिनगी बर । तँय राख दुलार बने सबला, सुन ...

*अरविंद सवैया*

1) मनखे मन काँटिच हे बन ला, टँगिया हँसिया धरके हर साल। निमगा पुरवा नइ पावच गा, बनगे जिनगी बर ओहर काल। तरिया नदिया डबरा पटगे, पनिया बिन रोवत हे सब ताल। बढ़िया रुखवा ल लगा बन मा, जिनग...

*(सुन्दरी सवैया छन्द)*

1) सुनके रहिबे गुनके चलबे, तबतो बढ़िया जगमें रहि पाबे। चल जाँगर पेर बने कसके ,नइ तो जिनगी भर गा पछताबे। करले तँय दान दया बढ़िया, सुन ले भइया बड़ पुण्य कमाबे । जपले मनमा हरि नाम बने, त...

*शक्ति छन्द*  

1) बने साफ हो जी गली खोर हा। तभे गाँव आही ग अंजोर हा। रहे गाँव मा जी सदा रीत हा । बसे हे घरो घर मया प्रीत हा। 2) मया ले मया दे, रहे मीत हा। बहे धार चारो, डहर प्रीत हा। दया राख मनमा, कहे र...

*कज्जल छन्द*

पावन छत्तीसगढ़ मोर। मया दया ला रखे जोर। हवे किसानी के सोर। संग मितानी रहे तोर। देव विराजे इहाँ जान। साधु संत के हवे मान। भुइँया के हावे किसान। कहिथे जेला ग भगवान। बइला जेकर...

*कुकुभ छन्द*

छत्तीसगढ़ी बोली भाखा, बड़ गुरतुर मोला लागे। जन्म जन्म के रिश्ता हावे, जेला मोरे मन भागे। मोर हवय जे दाई भाखा, मानव जेला भगवाने। मीठ मीठ अउ गुरतुर बोली, बोलव जी सीना ताने। नाचत ...

*मोद सवैया* (छन्द)

1) बालक छोट रहे हम खेलन कूदन जी धुर्रा अउ माटी। जावन होत बिहान धरे थइली भर जी भौंरा अउ बाँटी। नाचत कूदत खूब मजा लन जी पहिरे माला गर घांटी ।। देवन जी सँगला बढ़िया अउ जावन गा संगी ब...

त्रिभंगी छन्द

जय जय हो भुइँया, परथँव पँइया, रोजे तोरे, ध्यान धरँव। मोरे महतारी, तँहि सँगवारी, अपन राज के, मान रखँव।। बाढ़य गरिमा, गावँव महिमा, दाई जब मँय, गान करँव। मन ला मँय खोलँव, भाषा बोलँव, इँ...

*कज्जल छन्द*

1) वरुण देव हा जी रिसाय। पानी आसो नइ गिराय।। रोवत नदिया बहत जाय। हाल देख भुइँया सुनाय। रोवत हावे सब किसान। आसो होइस नहीँ धान। भुइँया जेकर हवै जान। सुक्खा मा छूटत परान। पानी ...

बरवै छन्द

*महँगाई * बाढ़े भावे कसके, हर दिन साल। बइरी महँगाई हा,  बनके काल।। झार गोंदली मारत, बइठे हाट। होवय चर्चा जेकर, रस्ता बाट।। लाल लाल होवत हे, सबके आँख। मिरचा बइरी देवत, कसके काँख।। ...

*(किरीट सवैया)*

1. गुरु  आवत जावत सोवत मैं गुरु के गुन रात अऊ दिन गावव। जेकर जी सुनके महिमा अबतो बड़ मैं हर तो इतरावव। पावव ताकत मैं गुरु के अबतो हर संकट मैं ह पुकारव। मार इहाँ गुरु के मन मंतर मै...