सुमता रखले घर मा बढ़िया, परिवार सुखी रइही जिनगी भर।
मिलके रहिबे सबके सुनबे, तबतो चलही भइया जिनगी हर।
रख एक बरोबर गा सबला, इहि मान कमालव जी जिनगी बर ।
तँय राख दुलार बने सबला, सुन सुघ्घर जाहय ये जिनगी तर।
गुटखा मुँह मा भर खावय जी, अपने जिनगी बर काल बलावय।
मुँह भीतर मा सिगरेट धुँआ, अबड़े नुकसान नशा पहुँचावय।
बनथे तन हा गढ़ जेकर गा, अउ रोग बियाधि सबो सकलावय।
जिनगी बिरथा तब जान सखा, बनके जब काल नशा हर आवय ।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
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