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*सुखी सवैया*


सुमता रखले घर मा बढ़िया, परिवार सुखी रइही जिनगी भर।
मिलके रहिबे सबके सुनबे, तबतो चलही भइया जिनगी हर।
रख एक बरोबर गा सबला, इहि मान कमालव जी जिनगी बर ।
तँय राख दुलार बने सबला, सुन सुघ्घर जाहय ये जिनगी तर।

गुटखा मुँह मा भर खावय जी, अपने जिनगी बर काल बलावय।
मुँह भीतर मा सिगरेट धुँआ, अबड़े नुकसान नशा पहुँचावय।
बनथे तन हा गढ़ जेकर गा, अउ रोग बियाधि सबो सकलावय।
जिनगी बिरथा तब जान सखा, बनके जब काल नशा हर आवय ।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

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