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हेम के बरवै छंद (आगे नवा बछर)

आगे नवा बछर के, पहली भोर।
हैप्पी न्यू ईयर हे, सबला मोर।।

अंग्रेजी कैलेंडर, जग भर छाय।
कोनो नइहे संगी, अब पिछ्वाय।।

नवा बछर मा सबले, रिश्ता जोड़।
बैर भाव अउ झगरा, सबला छोड़।।

सादा जिनगी रखबे, उच्च विचार।
सुम्मत के सुग्घर जग, बगरय नार।।

नवा बछर मा संगी, बनव निरोग।
अच्छा स्वास्थ्य रइही, करलव योग।।

बीड़ी तम्बाकू अउ, मदिरा पान।
बीमारी ला पनपा, लेथे जान।।

नवा बछर मा गुरतुर, बोली बोल।
दया मया के सुग्घर, बानी घोल।।

मन आपा झन खोवय, बाँधव पार।
जिनगी के सब विपदा, ला दे टार।।

आही नवा बछर के, नव अंजोर।
आसा हावय सुग्घर, मन मा मोर।।

फेर भाग्य हर खुलही, सुग्घर तोर।
जी जान लगाके तँय, जांगर टोर।।

-हेमलाल साहू
छंद साधक सत्र- 1
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जुबान (कुंडलिया छंद)

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