पुरखा मन के सुरता करके, मन भर के कर याद।
जेमन हमर धरोहर बर जी, डारिस पानी खाद।।
खादी कुरता धोती टोपी, रहिस हवै पहिचान।
जन जन के ओहर सँगवारी, बड़का प्रतिभावान।।
जिला दुरुग के अर्जुन्दा मा, जेकर टिकरी गाँव।
रहिस दलित जी गाँधीवादी, धरै मया के छाँव।।
जनम दलित जी के जब होइस, सबके मन ला भाय।
पाँच मार्च के उन्निस सौ दस, महिना फागुन आय।।
नाँव ददा के राम भरोसा, रहिस गरीब किसान।
खेत खार मा बचपन बीतिस, पाइस बढ़िया ज्ञान।।
छोट बड़े सब एक बरोबर, देवय सबला मान।
सरल सादगी जिनगी जेकर, मीठा रहिस जुबान।।
आजादी के ओ दीवाना, कलम बनिस तलवार।
देश राग मा भर धुन गाइस, मन मा भरके प्यार।।
जेला माटी के कवि कहिथे, धरै शब्द भंडार।
देख छन्द बिद्या मा रचना, दोहा सरसी सार।।
लिखै ठेठ छत्तीसगढ़ी मा, भाव रखै ओ पोठ।
हास्य व्यंग्य के कविता पढ़के, करय सियानी गोठ।।
जन भाखा ले मान बड़िस हे, गावव गौरव गान।
भाखा होइस हमर पोठ गा, मिलिस बने वरदान।।
कोदूराम दलित जी के सपना, पूरा होही जान।
पढ़बो लिखबो छत्तीसगढ़ी, लइका अऊ सियान।।
जनभाखा के अब बन जाही, दुनिया मा पहिचान।
जन जन गुन गाही भाखा के, आही नवा बिहान।।
होगे जग मा अमर दलित जी, करके जन कल्यान।
सबो आव मिल के भाखा ला, देबो अब्बड़ मान।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो 997783173
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