हवै चार दिन के जिनगी, राख ले मन प्रेम।
का ठिकाना कहाँ मलही, फेर जी अब टेम।।
प्रेम ला अंतस राख ले, खोल तँय मन द्वार।
जान ले मान ले संगी, सब इही जग सार।।
गुन ला माटी के गावव, माथ अपन नवाव।
मोर हवै जाँगर साथी, मेह किसान आव।।
गारके पसीना तन ले, रोज करथव काम।
सुत उठ माटी दाई ला, करव मे परनाम।।
आगय संगी देवारी, देख हमर तिहार।
बारव दीया सुरहूती, लाव नव उजियार।।
लछमी दाई घर आवय, फैलय यस हमार।
आव दूर करबो मिल, जगत के अँधियार।।
-हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट- नगधा
तहसील -नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो. नं.-9977831273
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