होत बिहनिया उठके भइया, रामे नाँव जपइया आँव।
उठती बेरा के पाँव परइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।।
मँय खाँटी किसान के बेटा, भुइँया जतन करइया आँव।
दुनिया के पालन ल करइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।।
बासी चटनी नून खवइया, नित जाँगर पेरइया आँव।
सीधा साधा भोला भाला, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।।
मया दया के गोठ करइया, निक बानी बोलइया आँव।
दाई बाबू के रोज कहइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।।
इहि माटी मा सदा रहइया, धरती गान करइया आँव।
दान धरम के करम करइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।।
चिरई चुरगुन मोर संगवारी, माटी मान बढ़इया आँव।
सुख दुख मा सँग के देवइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)
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