चल रे संगी चल रे साथी। बनके दुश्मन बर तँय हाथी।
अपन करम मा किस्मत गढ़बो। सुघ्घर सत के रस्ता चढ़बो।
जतन ददा दाई के करबो। गुरु के बताय रद्दा चलबो।
कठिन साँच के रद्दा हावय। करम करइया के मन भावय।।
सच के रद्दा सरग दिखावय। नरक पाप के रद्दा जावय।
चले करम के लेखा जोखा। मिलथे फल हर सबला चोखा।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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