दाई अउ बाबू हवे, जग मा भगवान कस।
संतोषी बहनी हवे, यम हे भाई जान जस।।
पूजा कर परिवार के, जिनगी जाही तोर तर।
करम धरम करले इहाँ, दान दया ला मोर धर।।
मया दया के गाँठ ला, बाँध बने कस छोर से।
कतको बड़का भेद ले, टूटे झन बस जोर से।।
जियत मरत नाता रहे, सुघ्घर सबके संग मा।
कलजुग के दुनिया हवे, चढ़े मया के रंग मा।।
स्वारथ के मनखे हवे, जाँगर मा सम्मान हे।
बिन जाँगर पूछे नहीं, करत सदा अपमान हे।।
मानवता मन मा कहाँ, सोचत हावय हेम हा।
रख नाता जग ले सदा, मिलही सबसे प्रेम हा।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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