होली देख तिहार ला, सब्बो गाँव मनाय।
लिपे पुते घर मन हवे, सुघ्घर रौनक लाय।।
फागुन के महिना हवे, होली आय तिहार।
दहन होलिका बाद ही, खुशियाँ दे भरमार।।
सच के रद्दा मा चले, होय नही जी हार।
सुरता कर पहलाद ला, सच रद्दा के सार।।
होली हर आगे हवे, उड़थे रंग गुलाल।
जगा जगा मा देख ले, बजे नगाड़ा ताल।।
फाग गीत ला गात हे, नाचत हावय यार।
संगी साथी मिल बने, हवे मनात तिहार।।
घर घर जाके चल बने, लगाबोन जी रंग।
मिलही आशीर्वाद हा, छोट बड़े के संग।।
मया दया के भाव धर, रंग लगा ले गाल।
धरती के बेटा हरन, उड़ाबोन ग गुलाल।।
सुघ्घर होली रंग हे, देख देख मन भाय।
ये होली के रंग मा, जम्मो झन पोताय।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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