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सरसी छंद *दाई*

सजगे दाई तोर दुवरिया, गूँजत हे जयकार।
लाली लुगरा पहिरे दाई, किसम किसम के हार।।

आगे हावय नव दिन के ये, सुघ्घर ओ नवरात।
रिगबिग रिगबिग दीया बरथे, महिमा तोरे गात।।

नव दिन ले रखथे जी सुघ्घर, दाई के उपवास।
तन मन अर्पित करके लोगन, रहिथे दाई पास।।

पान सुपारी नारियल चढ़ा, पूजा करथे तोर।
मन के मनोति ला ओ माँगय, हाथ ल दूनो जोर।।

मादर डोलक झांझ मँजीरा, सुघ्घर हवय बजात।
लगे हवय सेवा मा सेउक, तोर भजन ला गात।।

काली दुर्गा लक्ष्मी देवी, सबला जानव एक।।
दाई बहनी दीदी बेटी, हावय रूप अनेक।।

महिमा गावत हावव दाई, कर दे जग उद्धार।
नइया पार लगा दे सबके, तहि जग तारन हार।।

जियत मरत ले तोर संग हे, जग मा नाता मोर।
पर सेवा पर उपकार करव, ले के नावे तोर।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जुबान (कुंडलिया छंद)

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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग। नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।। बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान। गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।। चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच। बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।। सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान। सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।। देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान। बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान। -हेमलाल साहू छन्द साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)