करे रात दिन मेहनत, अपने जाँगर पेर। दिन भर भूखा ओ रहै, जिनगी के हे फेर।। करजा बोड़ी ला करे, बेटा खूब पढ़ाय। ददा आस मनमें रखै, बने नौकरी पाय।। हाथे मा डिग्री धरै, दर दर भटकत जाय। इहाँ नौकरी ना मिलै, ठोकर रोजे खाय।। बेटा चिन्ता ला करै, कइसे करज छुटाय। मोर पढ़ाई मा ददा, पूँजी अपन लुटाय।। काम मिलै मोला नहीं, घर का मुख देखाँव। बोझ ददा के अब नहीं, तन मा आग लगाँव।। पढ़े लिखे मा सब गये, खेत खार बेचाय। खाये बर दाना नहीं, जिनगी कौन चलाय।। बड़े बड़े वादा करै, साथी अपन बताय। जाबे संगी तीर मा, घर ले देत भगाय।। पूछत हावँव आज मँय, काबर अपन बनाय। प्रवचन हमला ओ सुना, घर मा मजा उड़ाय।। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)