सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

तुरते ताही

जागव रे (सरसी छंद)

जागव रे जवान जागव रे, संगी मोर सियान। धरती गोहार लगावत हे, देवव अबतो ध्यान।। झन काँटव जंगल झाड़ी ला, धरती के श्रृंगार। सबो जीव के हवय बसेरा, जिनगी के आधार।। जैसे काँटत जाबे जंगल, कतको बनही घाँव। बंजर हो जाही भुइँया हर, उजड़त जाही गाँव।। सूखा जाही पानी सब्बो, मर जाबे तँय प्यास। बिना हवा पानी जिनगी के, तोर छूट जहि साँस।। तीप जही भुइँया लकलक ले, चट-चट जरही पाँव। लेसा जाही तन तोर घाम मा, मिले नहीं जुड़ छाँव।। रुख राई ले पवन बहे गा, जिनगी के बन प्रान। पैसा खातिर झन बेचव गा, भविष्य अउ ईमान।। जंगल हसदेव ला बचाके, करलव गरब गुमान। हमर आदिवासी संस्कृति के, जेन हवय पहचान।। समे रहत ले चेत लगाके, जंगल अपन बचाव। सुखी रही जिनगानी सबके, सुघ्घर पेड़ लगाव।। - हेमलाल साहू छन्द साधक, सत्र-1 ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा
हाल की पोस्ट

जय हनुमान (हेम के बरवै छन्द)

प्रभु श्री राम दुलारे, जय हनुमान। महाबली जग के, तँय भगवान।। तन मन अपन बसाये, प्रभु श्री राम। आठो पहर राम के, जपथस नाम।। बल बुद्धि शक्ति सबला, देय अपार। नर नारी तोर लगावै, सब जयकार।। नाम लेत सब विपदा, हर टल जाय। कन्द मूल फल तोला, हे मन भाय।। सुमिरत तोर नाम ला, काँपे भूत। अपन संग धर लाये, यम के दूत।। दुश्मन भाग बचाये, अपन परान। जय होवै महावीर,  जय हनुमान।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-1 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के बरवै छन्द (सतगुरु रविदास)

16 फरवरी सतगुरु रविदास जयंती के हार्दिक बधाई अउ शुभकामनाएँ मँय बन्दत हव तोला, गुरु रविदास। मानवतावादी तँय, सतगुरु खास।। तोरे अमरित वाणी, हे अनमोल। शांत धीर अउ गुरतुर, हावे बोल।। मन आत्मा ला पूजे, अंतर ध्यान। मन मंदिर ला खोले, पाये ज्ञान।। जग मा सबो एक हे, ये भगवान। राम रहिम अउ ईसा, एक्के जान।। काम बुता ला सुग्घर, करले नेक। भाई चारा ल बढ़ा, ईष्या फेक।। मन ला चंगा राखे, करहूँ काम। पाव कठौती गंगा, बाढ़य नाम।। जात पात मा झनकर, गरब गुमान। धरम करम बड़का हे, रख ईमान।। सुन रविदास कहे, जाँगर पेर। फेर रहे ना जिनगी, मा अंधेर।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-1 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

*हेम के विधाता छन्द (किसान)*

हरे अनमोल हीरा ओ, कमाथे जे किसानी ला। नफा सूझे कहा भैया, इहाँ ओ अन्न दानी ला।। कमाये पेर जाँगर ओ, सहे गा घाम पानी ला। बहाये तन पसीना ओ, खपा देये जवानी ला।। *-हेमलाल साहू* छन्द साधक, सत्र -1 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के बरवै छंद (आगे नवा बछर)

आगे नवा बछर के, पहली भोर। हैप्पी न्यू ईयर हे, सबला मोर।। अंग्रेजी कैलेंडर, जग भर छाय। कोनो नइहे संगी, अब पिछ्वाय।। नवा बछर मा सबले, रिश्ता जोड़। बैर भाव अउ झगरा, सबला छोड़।। सादा जिनगी रखबे, उच्च विचार। सुम्मत के सुग्घर जग, बगरय नार।। नवा बछर मा संगी, बनव निरोग। अच्छा स्वास्थ्य रइही, करलव योग।। बीड़ी तम्बाकू अउ, मदिरा पान। बीमारी ला पनपा, लेथे जान।। नवा बछर मा गुरतुर, बोली बोल। दया मया के सुग्घर, बानी घोल।। मन आपा झन खोवय, बाँधव पार। जिनगी के सब विपदा, ला दे टार।। आही नवा बछर के, नव अंजोर। आसा हावय सुग्घर, मन मा मोर।। फेर भाग्य हर खुलही, सुग्घर तोर। जी जान लगाके तँय, जांगर टोर।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र- 1 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के सरसी छन्द (बसन्त ऋतु)

आगे हे राजा बसंत ऋतु, सबके मन ला भाय। रंग बिरंगी जग मा सुघ्घर, छटा प्रकृति के छाय।। झुमके काँदी करथे स्वागत, फूल देख मुस्काय। चिरई चिरगुन घूम घूम के, संदेशा बगराय।। गोंदा चम्पा अउ चंदैनी, बगिया ला महकाय। मस्त मगन भौरा नाचे, देख खूब इतराय।। सरर सरर चलथे पुरवइया, बहिथे चारो ओर। तरिया अउ नदिया के पानी, मारे देख हिलोर।। धीरे धीरे आमा मउरे, कोयल गावय गीत। लाली लाली परसा फूले, जागे सबके प्रीत।। पीयर पीयर सरसो फूले, छाये मन उल्लास। रुख राई के हरियर पाना, लाये नव उज्जास।। - हेमलाल साहू छन्द साधक, सत्र-1 ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के सार छंद (बेटी)

 जग बर वरदान हवे, समझव इखरो पीरा। झन मारव संगी कोख म, अनमोल एक हीरा।। लक्ष्मी दाई बनके सुघ्घर, घर मा आथे बेटी। दया मया के गठरी बांधे, लाये सुख के पेटी।। दादा दादी के सँगवारी, बनथे मीत मयारू। दाई बाबू बर सुख दाता, बेटी होय जुझारू।। सबो परीक्षा मा अव्वल जे, पढ़े लिखे मा आगू। डॉक्टर सैनिक बने शिक्षिका, नइहे बेटी पाछू।। दू ठन कुल ला रखें बाँध के, कतको झेल झमेला। दाई बहनी भाभी पत्नी, बिन जिनगी न कटेला।। कुल गौरव चरित्र निर्मात्री, बेटी बड़ संस्कारी। जग हे जेकर बिना अधूरा, महिमा हावे भारी।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-1 ग्राम -गिधवा, जिला बेमेतरा

शंकर छंद (लाल बहादुर शास्त्री)

जय हो लाल बहादुर शास्त्री, मोर भारत रत्न। राम राज्य के देखे सपना, रहिस जन प्रसन्न।। अटल अमर हे तोर कहानी, सुनत हे संसार। दू अक्टूबर जन्म दिवस हे, पाय बड़ संस्कार।। सरल सादगी जिनगी तोरे, उच्च रहिस विचार। बड़का सतरंज के खिलाड़ी, खाय कभू न हार।। छोटे कद काठी दुरिहा ले, जाय जे पहिचान। खादी टोपी कुरता धोती, बढ़ाय तोर मान।। नारा जय जवान जय किसान, अमर जग मा तोर। ईमानदार सबके साथी, रहिस शास्त्री मोर।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र -1 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

सरसी छंद (गुरु घासीदास बाबा)*

सत्य नाम ला अमर करइया, जय गुरु घासीदास। जग मा लाये हच तँय बाबा, सुग्घर नवा उजास।।  करम धरम ला पोठ करे हस, बन महान तँय संत।  सुग्घर जग मा अपन चलाये, सत्य नाम के पन्त।।  मनखे मनखे एक बरोबर, सबके बनव हितेश।  भेद भाव ला छोड़ कहे तँय, सबला दे संदेश।।  बिना कर्म के कहाँ मिले फल, जैसे बिन गुरु ज्ञान।  कहे अंध विस्वासी झन बन, बनव सबो विद्वान।।  सादा जिनगी ला धरबे तँय, करबे सद व्यवहार।  छोड़ नशा ले दुरिहा कहिथस, रखबे उच्च विचार।। -हेमलाल साहू  छंद साधक सत्र-0१ ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के कुण्डलिया (राखी)

बहनी राखी ला धरै, मइके आय दुवार। भैया के मन भात हे, देवत मया दुलार।। देवत मया दुलार, हाथ मा पहिने राखी। नाता हे अनमोल, मया के बाँधे साखी।। दे दव रक्षा वचन, मान लव मोरो कहनी। लक्ष्मी बनके भाग्य, आय भाई घर बहनी।। -हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-1 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के त्रिभंगी छंद (हे भारत माता)

हे भारत माता, भाग्य विधाता, तोर शरण मा, माथ नवे। झंडा फहराबो, जश्न मनाबो, शुभ दिन आये, आज हवे।। मन राखे चंगा, बन बजरंगा, वीर सिपाही, मोर रहें। भारत जयकारा, गूँजय नारा, भारतीय जय, जगत कहें।। -हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-1  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

गुरु (हेम के कुण्डलिया)

 करलौ पहली वंदना, मानव जस भगवान। मिले ज्ञान गुरु बिन नहीं, धरलौ सुघ्घर ध्यान। धरलौ सुघ्घर ध्यान, सही रास्ता पकड़ाही। मन के इरखा फेक, सत्य के नाम जगाही।। कहय हेम कविराय, बात ला गुरु के सुनलौ। जिनगी ला दे तार, वंदना गुरु के करलौ।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा छंद साधक, छंद के छ  सत्र -१