आसो गरमी के दिन आगय।
सुरुज देव आगी बरसावय।।
खरी मंझनिया लू बरपावय।
नोनी सबला बात बतावय।।
डारा पाना सबो सुखावय।
रोज झाँझ हर खूब जनावय।
लकलक तीपत धरती हावय।
चट चटाक पाँव जरत जावय।।
रुख राई सबके मन भावय।
जीव पेड़ छइहा सुस्तावय।।
गरमी के दिन बैठ बितावय।
ठण्डा ठण्डा बढ़िया लागय।।
-हेमलाल साहू
छंद साधक सत्र-1
ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा
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