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छत्तीसगढ़ के रंग(हेम के दोहे)

कोरबा

ऊर्जा के नगरी हवे, रखे अलग पहिचान।

सबला दे अंजोर गा, नाव कोरबा जान।।


आवव देखव कोयला, करिया हीरा खान।

बड़े कारखाना चलै, देखव ओकर शान।।


बिलासपुर

न्याय राजधानी बसे, रहिस बिलासा गाँव।

मिलथे सबला न्याय हा, बिलासपुर हे नाव।।


केवटिन ओ नारी सती, आय बिलासा जान।

लाज बचाये बर अपन, ओ गवाइस परान।।


रइपुर


हमर राजधानी हरे, देखव ओखर शान।

रंग भरे जग के हवे, रइपुर ला पहिचान।।


आनी बानी बोल हे, किसम किसम के लोग।

मानव के माया नगर, अपन दिखावय योग।।


मारो

मान सिंह राजा रहे, किल्ला जेकर आन।

सुग्घर हावय आज भी, मारो गढ़ के शान।।


भारी बड़का गढ़ रहे, रखे अलग पहिचान।

देख समे बलवान हे, खोइस ओकर मान।।


कांकेर

तपोभूमि ऋषि कंक के, हरे पहाड़ी धाम।

दाई    हे  कांकेश्वरी,   पूरन  करथे  काम।।

 

धरम देव राजा रहे, सिंह बनाय दुवार।

कंडरा रक्छा ला करे, दुश्मन जावे हार।।


हे सोनाई रूपई, सुघ्घर तरिया जान।

राजा के बेटी इहे त्यागिस हवे परान।।


ए सुक्खा होवय नहीँ, जेकर हे परमान।।

आधा पानी सोन गा, आधा चाँदी जान।


बस्तर

आवव बस्तर देख लव, जंगल झाड़ी आय।

हरियर हरियर देख लव, कुदरत रंग भराय।।


देख आदिवासी हवे, हमर इहाँ के शान।

भोला भाला सादगी, जेकर हे पहिचान।।


देखव बस्तर के महल, सुघ्घरता के खान।

दलपत सागर देख ले, बस्तर के हे आन।।


तीरथगढ़ बड़ निक लगे, सुघ्घर जलप्रपात।

आवव संगी देख लव, चित्रकोट मन भात।।


खास हवे गा दशहरा, अबड़ ख्याति जग जान।

सबले  हावय  अलग गा,  बाढ़य  बस्तर मान।।


देखव जी कैलास के, गुफा कुटुमसर आँव।

हवय प्रकृति के रंग हा, मिले मया के छाँव।।


-हेमलाल साहू 

ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा

तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 


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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग। नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।। बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान। गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।। चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच। बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।। सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान। सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।। देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान। बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान। -हेमलाल साहू छन्द साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जागव रे (सरसी छंद)

जागव रे जवान जागव रे, संगी मोर सियान। धरती गोहार लगावत हे, देवव अबतो ध्यान।। झन काँटव जंगल झाड़ी ला, धरती के श्रृंगार। सबो जीव के हवय बसेरा, जिनगी के आधार।। जैसे काँटत जाबे जंगल, कतको बनही घाँव। बंजर हो जाही भुइँया हर, उजड़त जाही गाँव।। सूखा जाही पानी सब्बो, मर जाबे तँय प्यास। बिना हवा पानी जिनगी के, तोर छूट जहि साँस।। तीप जही भुइँया लकलक ले, चट-चट जरही पाँव। लेसा जाही तन तोर घाम मा, मिले नहीं जुड़ छाँव।। रुख राई ले पवन बहे गा, जिनगी के बन प्रान। पैसा खातिर झन बेचव गा, भविष्य अउ ईमान।। जंगल हसदेव ला बचाके, करलव गरब गुमान। हमर आदिवासी संस्कृति के, जेन हवय पहचान।। समे रहत ले चेत लगाके, जंगल अपन बचाव। सुखी रही जिनगानी सबके, सुघ्घर पेड़ लगाव।। - हेमलाल साहू छन्द साधक, सत्र-1 ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा