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पादाकुलक छन्द

झरझर झरझर झाँझे लागे,
दिन हा नवतप्पा के आगे।
सूरज हा आगी बरसावे,
पाँव जरत भुइँया मा हावे।1।

होत बिहनिया घाम जनावे,
ठण्ठा जिनिस घूब मन भावे।
प्याज ल धरके घर ले जाथे,
नवतप्पा ले जौन बचाथे।2।

रस्ता मन हा परगे सुन्ना,
खोर गली झन जाबे मुन्ना।
कहिथे महतारी सुन दादू,
नवतप्पा कर देही जादू।3।

लगवा देही लू बीमारी,
धर लेबे तँय खटिया भारी।
रहिबे मंझनिया घर द्वारी,
आय नहीं गा लू के पारी।4।

कर लेबे थोकुन उपकारी,
पेड़ लगा ले घर अउ बारी।
नवतप्पा हा कम हो जाही,
रुख हा लू ले तोर बचाही।5।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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