छत्तीसगढ़िया मन बड़ भोले होते
मेहनतकस मनखे होते
जबले २ रुपया किलोमा चाउर ल झोके
चाउर ल बेच के भट्ठी डहर रेगे
काम बूता ल भुला के अलाल बने
चाउर वाला बाबा सत्ता में हे कहिके
बीड़ी गाजा दारू मा पैसा ल फुके
काम धंधा दू चारदीन करे बाकि दिन घर मा बैठे
सरकार के योजना फायदा ल जयदा नुकशान मा पर गे
जब छत्तीसगढ़िया मन चाउर बेच के दारू पिए
गरीबी ल हटाये बार ये योजना ल लाये रहिस
पर गरीबी दूर नई होइस पर मनखे मन अलाल बन गीस
यही ल कहिथे छत्तीसगढ़िया मन भोले होते
पर सही गलत के फैसला करे ल नई जाने
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मेहनतकस मनखे होते
जबले २ रुपया किलोमा चाउर ल झोके
चाउर ल बेच के भट्ठी डहर रेगे
काम बूता ल भुला के अलाल बने
चाउर वाला बाबा सत्ता में हे कहिके
बीड़ी गाजा दारू मा पैसा ल फुके
काम धंधा दू चारदीन करे बाकि दिन घर मा बैठे
सरकार के योजना फायदा ल जयदा नुकशान मा पर गे
जब छत्तीसगढ़िया मन चाउर बेच के दारू पिए
गरीबी ल हटाये बार ये योजना ल लाये रहिस
पर गरीबी दूर नई होइस पर मनखे मन अलाल बन गीस
यही ल कहिथे छत्तीसगढ़िया मन भोले होते
पर सही गलत के फैसला करे ल नई जाने
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