धरती हा गोहार लगावे।
झन जा बेटा शहर दुवारे।।
मनेमन बिचार करत हावे।
कइसन ये कलयुग आगे।।
आज के लईका खेती छोड़े।
छोड़ शहर दूवारी जावे।।
पढ़ लिख शहरी बनगे हावे।
नौकरी बर भुईया बेचे।।
माटी दाई ल बेच खाये।
गाव ला छोड़ शहर जाये।।
ऐला देख धरती पुकारे।
मालो छोड़ तैय मत जाबे।।
नदीया, नरवा, रूख राई।
तोला पुकारे मोर भाई।।
धरती ला छोड़के मत जाबे।
धरती मा तोर जीनगानी।।
चिरई—चिरबुन मया म बोले।
तुहर जवई देख जी खऊले।।
धर के गाय मया मा रोये।
जतन करईया शहर जाये।।
झन जा बेटा शहर दुवारे।।
मनेमन बिचार करत हावे।
कइसन ये कलयुग आगे।।
आज के लईका खेती छोड़े।
छोड़ शहर दूवारी जावे।।
पढ़ लिख शहरी बनगे हावे।
नौकरी बर भुईया बेचे।।
माटी दाई ल बेच खाये।
गाव ला छोड़ शहर जाये।।
ऐला देख धरती पुकारे।
मालो छोड़ तैय मत जाबे।।
नदीया, नरवा, रूख राई।
तोला पुकारे मोर भाई।।
धरती ला छोड़के मत जाबे।
धरती मा तोर जीनगानी।।
चिरई—चिरबुन मया म बोले।
तुहर जवई देख जी खऊले।।
धर के गाय मया मा रोये।
जतन करईया शहर जाये।।
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