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माटी के मया बड़ सुघ्घर होथे

1। माटी के मया बर सुघ्घर होथे 
जेकर मया मा दिन रात गुजरथे 
माटी के मया मा पूरा जिंदगी गुजर जाते 
पर माटी के मया ल कभू नई भूल पावे



 2। ते का झमझबे माटी के मया ल 

जेन माटी मा पल बढे उही माटी ल भुलगे 
ये माटी दाई मोर महतारी ये 
मोर जिंदगी के चिन्हारी ये 
येकर अचारा के छईहा माँ जिंदगी बिताये 
ये माटी दाई के मया ल जिंदगी भर नई भुलाव।


3। बर निक लागे जी बर सुघ्घर लागे न , 
हमर छत्तीसगढ़  के मया दुलार सबले बढ़िया  हवय न
बड़  सूघ्घर हवय हमर माटी के जतन करईया , 
सबले बढ़िया  हमर किसान भईया ।
बर निक लागे यहा के गोठ बात बर सूघ्घर हवय ईहा के भासा  ,
जिहा हवय छत्तीसगढ़ी  बोली के बोलईया ,
सबले बढ़िया हमर छत्तीसगढ़िया 


4। बड़ सुघ्घर हे ईहा के बोली 
बड़ सुघ्घर हे ईहा के भाषा 
बड़ सुघ्घर हवाय ईहा के मनखे 
बड़ सुघ्घर हावे ईहा के मया 
बड़ सुघ्घर हावे माटी दाई के जतन कराई 
सबले बढ़िया मोर किसान भैया
बड़ सुघ्घर हावे ईहा के संगवारी
बड़ सुघ्घर हावे बईला किसान के मितानी
का सुनावाव छत्तीसगढ़ के कहानी
बड़ सुघ्घर हावे ईहा के  निवासी
चल घूमे ला जाबो छत्तीसगढ़ महतारी। 

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नाम – हेमलाल साहू
स्थाई पता – ग्राम-गिधवा, 
पो.-नगधा,थाना-नादघाट,
तहसील-नवागढ़,जिला- बेमेतरा (छ.ग.)
मो. नम्बर – 9977831273, 
Mail = hemlalshahu@gmail.com




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