ऐदे गरमी के दिन आगे।
चारो मुड़ा घाम ह बाड़गे।।
झांझ मा तन हा लेसागे।
पसिना पानी कस चुचवागे।।
रूख राई के छाव सिरागे।
भुईया मा दर्रा हा फाटे।।
पानी बिना काम नी होवे।
चारो मुड़ा तगई हा छागे।।
नदिया, नरवा सबो सुखागे।
घाम ला देख जी थर्रागे।।
सब जीवमन पानी ल खोजे।
पानी तीर बसेरा डाले।।
बोरे बासि अड़बड़ मिठाथे।
गोदलि नवटपा ले बचाथें।।
घाम कोनो ला नई सहावे।
भुईया लकलक ले तीपे।।
चारो मुड़ा घाम ह बाड़गे।।
झांझ मा तन हा लेसागे।
पसिना पानी कस चुचवागे।।
रूख राई के छाव सिरागे।
भुईया मा दर्रा हा फाटे।।
पानी बिना काम नी होवे।
चारो मुड़ा तगई हा छागे।।
नदिया, नरवा सबो सुखागे।
घाम ला देख जी थर्रागे।।
सब जीवमन पानी ल खोजे।
पानी तीर बसेरा डाले।।
बोरे बासि अड़बड़ मिठाथे।
गोदलि नवटपा ले बचाथें।।
घाम कोनो ला नई सहावे।
भुईया लकलक ले तीपे।।
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