बुधारू के बेटा समारू।
अड़बड़ कोढ़िया त झन जाहू।।
गोठ बात बर हे लपराहा।
बनी करे बर हे कोढ़ीया।।
नाव के हवय टुरा बुधारू।
बुता करवाये बर जुगाडू।।
भाई कही कामकरवाये।
बनी बर दसपरत रेगाथे।।
मुधरहा दारू मा मुह धोथे।
जुवा ला बुता बनाके बैठे।।
कोढ़िया म संगी दुरिहागे।
खेत धन नास त भीख मागे।।
सबो डहर ऐकर नाव हावे।
ऐकर कारन लफरा होवे।।
बुधारू कस त मत बन जावे।
सियानमन सब ला समझावे।।
अड़बड़ कोढ़िया त झन जाहू।।
गोठ बात बर हे लपराहा।
बनी करे बर हे कोढ़ीया।।
नाव के हवय टुरा बुधारू।
बुता करवाये बर जुगाडू।।
भाई कही कामकरवाये।
बनी बर दसपरत रेगाथे।।
मुधरहा दारू मा मुह धोथे।
जुवा ला बुता बनाके बैठे।।
कोढ़िया म संगी दुरिहागे।
खेत धन नास त भीख मागे।।
सबो डहर ऐकर नाव हावे।
ऐकर कारन लफरा होवे।।
बुधारू कस त मत बन जावे।
सियानमन सब ला समझावे।।
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रचना दिनांक 21.05.2015
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