1. भगवान के पूजा करथव
सही रद्दा मा चलथव।
सब्बो झन ला अपन समझथव
ज्ञान के संग ला धरथव
अपन अज्ञानता ला भगाथव
दाई ददा के गुन गाथव।
सही रद्दा मा चलथव।
सब्बो झन ला अपन समझथव
ज्ञान के संग ला धरथव
अपन अज्ञानता ला भगाथव
दाई ददा के गुन गाथव।
2. ईश्वर के मया, कृपा अऊ दुलार हे
छत्तीसगढ़ माटी के पहचान हे।
किसान बेटा के नाम हे
बुता बनिहारी के काम हें।
हेमलाल साहू मोर नाम हे।
3. मोर बाबुजी गरीब किसान ये
बुता बनिहारी ओकर काम यें
मोर नाम ओकर पहचान यें
बैसाखू ओकर नाम हे।
बुता बनिहारी ओकर काम यें
मोर नाम ओकर पहचान यें
बैसाखू ओकर नाम हे।
4. मोर दाई ममता के बखान ये
घर चलाना ओखकर काम ये
मया अऊ दुलार के भरमाल ये
सोनमति ओकर नाम ये
घर चलाना ओखकर काम ये
मया अऊ दुलार के भरमाल ये
सोनमति ओकर नाम ये
5. छत्तीसगढ़ माटी के भुईयाँ मा बसईयाँ
जहाँ कन्हार मिट्टी के बिछे भुईयाँ
जहाँ भुईयाँ दाई के परथे पैइयाँ
जहाँ चिरई चिरबुन के बसेरा
गिधवा गाँव मोर जनम भुईयाँ।
जहाँ कन्हार मिट्टी के बिछे भुईयाँ
जहाँ भुईयाँ दाई के परथे पैइयाँ
जहाँ चिरई चिरबुन के बसेरा
गिधवा गाँव मोर जनम भुईयाँ।
6. किसान के बेटा संगी
भुईयाँ दाई के सेवा बजईयाँ
बुता बनिहारी के करईयाँ
अपन दाई-ददा के छैइहा मा
जिन्दगी के बितईयाँ।
भुईयाँ दाई के सेवा बजईयाँ
बुता बनिहारी के करईयाँ
अपन दाई-ददा के छैइहा मा
जिन्दगी के बितईयाँ।
7. छत्तीसगढ़ के मया करईयाँ
नुन बाँसी अऊ चटनी के खवईयाँ
गाँव घर के रहईयाँ
मोर किसान भईयाँ
नुन बाँसी अऊ चटनी के खवईयाँ
गाँव घर के रहईयाँ
मोर किसान भईयाँ
8. हे छत्तीसगढ़ के भुईयाँ
जिहाँ बसे हवय मया दुलार के छैईहाँ
परथव जेकर दिन रात पैईयाँ
गिधवा गाँव मोर जनम भुईयाँ
जिहाँ बसे हवय मया दुलार के छैईहाँ
परथव जेकर दिन रात पैईयाँ
गिधवा गाँव मोर जनम भुईयाँ
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा के रहियाँ
मोला कहिथे हेमलाल छत्तीसगढ़ीयाँ
हे मोर छत्तीसगढ़ भुईयाँ
तोर मैं परथव पैइयाँ
जय हो जय मोर छत्तीसगढ़ मईयाँ।
मोला कहिथे हेमलाल छत्तीसगढ़ीयाँ
हे मोर छत्तीसगढ़ भुईयाँ
तोर मैं परथव पैइयाँ
जय हो जय मोर छत्तीसगढ़ मईयाँ।
9. अपन गाँव अपन माटी
जेमा बसे मोर जिन्दगी के दिनराती
जहाँ हवय मया प्रेम के गोठ बाती
मोला कहिथे हेमलाल छत्तीसगढ़ वासी।
जेमा बसे मोर जिन्दगी के दिनराती
जहाँ हवय मया प्रेम के गोठ बाती
मोला कहिथे हेमलाल छत्तीसगढ़ वासी।
10. अपना है जुबानी
बुता अऊ बनिहारी को बनाओं मितानी
ये जिन्दगी हे के दिन के संगवारी
आओ मिलके करबो खेती किसानी।
बुता अऊ बनिहारी को बनाओं मितानी
ये जिन्दगी हे के दिन के संगवारी
आओ मिलके करबो खेती किसानी।
11. अपनी संगवारी बडे़ भाग्यशाली
मया प्रेम के बड़ मितानी
जेला कहिथे सुख दुख के संगवानी
येही हवय छ.ग. मितान के चिन्हारी।
मया प्रेम के बड़ मितानी
जेला कहिथे सुख दुख के संगवानी
येही हवय छ.ग. मितान के चिन्हारी।
12. अपन माटी के प्रेम ला करथव
सनझा बिहनियाँ परथव जेकर पईयाँ
छ.ग. जेला कहिथे मईयाँ।
सनझा बिहनियाँ परथव जेकर पईयाँ
छ.ग. जेला कहिथे मईयाँ।
13. किसानी के गोठ बाती
गाँव -गवई अऊ देहाती
भैसा-बईला के मितानी
बुता -बनिहारी के संगवारी
यही ला कहिथे भईयाँ मोर छ.ग. माटी।
गाँव -गवई अऊ देहाती
भैसा-बईला के मितानी
बुता -बनिहारी के संगवारी
यही ला कहिथे भईयाँ मोर छ.ग. माटी।
14. किसानी के बात है
बुता -बनिहारी के काम हे
छ.ग. माटी के ये पहचान हे
मोर किसान भईयाँ के नाम हे।
बुता -बनिहारी के काम हे
छ.ग. माटी के ये पहचान हे
मोर किसान भईयाँ के नाम हे।
15. हमर देश हमर राज
हमर माटी के पहचान
सीधा-साधा, भोला -भाला
मोर छ.ग. के जम्मो किसान।
हमर माटी के पहचान
सीधा-साधा, भोला -भाला
मोर छ.ग. के जम्मो किसान।
16. प्रेम के बंधना संगी
मया प्रित के छाव
छ.ग. के मया करईयाँ
गाँव देहात के ताव।
मया प्रित के छाव
छ.ग. के मया करईयाँ
गाँव देहात के ताव।
17. अपन छ.ग. भुईयाँ
मया प्रेम के छैईहाँ
जहाँ हवय दाई-दीदी, भईयाँ
गाँव-गवई के रहियाँ
ईही ला कहिथे छ.ग. मईयाँ।
मया प्रेम के छैईहाँ
जहाँ हवय दाई-दीदी, भईयाँ
गाँव-गवई के रहियाँ
ईही ला कहिथे छ.ग. मईयाँ।
18. अपन देश अपन राज
मया प्रेम के मोर छ.ग. राज
मोर माटी के येही पहचान
मिलथे यहाँ सबो ला मान सम्मान।
मया प्रेम के मोर छ.ग. राज
मोर माटी के येही पहचान
मिलथे यहाँ सबो ला मान सम्मान।
19. नागर तुतारी के धरईयाँ
बैईला के संग मितानी करईयाँ
धरती माता के पूजा करईयाँ
मोर गाँव के किसान भईयाँ।
बैईला के संग मितानी करईयाँ
धरती माता के पूजा करईयाँ
मोर गाँव के किसान भईयाँ।
20. अपन गाँव के संगवारी
मया प्रेम के मितानी
संग मा घूमथन, संग मा रहिथन
नईहे कोनो अनचिन्हारी
अपन गाँव के संगवारी
मया प्रेम के मितानी।
मया प्रेम के मितानी
संग मा घूमथन, संग मा रहिथन
नईहे कोनो अनचिन्हारी
अपन गाँव के संगवारी
मया प्रेम के मितानी।
21. मैं लेखक नई रहेव संगी,
रहेव अनपढ़ देहाती,
करत रहेवव खेती किसानी
जब भुईयाँ दाई के मया बरसीच।
तब ले मोर कलम चलगीच,
माटी के मया हा कवि बनादीच।
रहेव अनपढ़ देहाती,
करत रहेवव खेती किसानी
जब भुईयाँ दाई के मया बरसीच।
तब ले मोर कलम चलगीच,
माटी के मया हा कवि बनादीच।
22. गवार, देहाती शहर के मन नाम धरे
हेमलाल छत्तीसगढ़िया मोला कहे
पढ़े हाव बीए कॉलेज ल
पर हिन्दी मा ढंग से बोलेल नई आये
येकरे खातिर सब मोला
निचट देहाती छत्तीसगढ़िया बुलाये
शहर मे रहिके ये नाम ल पायेव
छत्तीसगढ़ी मा बोलेव तेकर सेती
गवार, देहाती छत्तीसगढ़िया कहलायेव ।
हेमलाल छत्तीसगढ़िया मोला कहे
पढ़े हाव बीए कॉलेज ल
पर हिन्दी मा ढंग से बोलेल नई आये
येकरे खातिर सब मोला
निचट देहाती छत्तीसगढ़िया बुलाये
शहर मे रहिके ये नाम ल पायेव
छत्तीसगढ़ी मा बोलेव तेकर सेती
गवार, देहाती छत्तीसगढ़िया कहलायेव ।
टिप्पणियाँ