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हेम के ताटंक छंद

किसम किसम के खेल ल खेलन, मिलके बाँटी भौरा।
बचपन  के  सुरता  आवत हे,  महावीर  गौरा  चौरा।1।

रेस टीप  अउ खोखो  ठप्पा, पचरंगा  गिल्ली डंडा।
पतरगढ़ी फुगड़ी खेले बर, अपनावन कतको फंडा।2।

देख सबो झन जुरियावन जी, रवि बंटी बल्ला बल्लू।
खेलन खेल ल मिलके संगी, सँग दादू लल्लू कल्लू।3।

रोज चलावन साईकिल ला, सबो गली अउ मोहल्ला।
एक एक रुपया ला माँगन, डारन बर पैसा गल्ला।4।

कूद कूद के भैसा धोवन, देवय बाबा हा पैसा।
खेले कूदे बर तरिया मा, बोरव कतको ले भैसा।5।

देख जवाना बदलत हावय, अब सब्बो हा नंदागे।
लइका से लेके सियान मन, मोबाइल मा फंदागे।6।

धरके मोबाइल ला चुपकन, कुरिया मा सब धंधागे।
तइहा के खेल ल नइ पावस, गेम वीडयो के आगे।7।

छोड़ वीडियो टीवी के लत, बने राख मन ला चंगा।
खेल कूद के बढ़िया संगी, नहा कठौती जी गंगा।8।

-हेमलाल साहू
ग्राम -गिधवा, पोस्ट- नगधा
तहसील- नवागढ़, जिला- बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग। नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।। बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान। गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।। चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच। बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।। सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान। सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।। देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान। बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान। -हेमलाल साहू छन्द साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)