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हेम के दोहे

1)
खुल्ला हरव किताब मँय, पढ़के लेबे देख।
हेम मोर नावे हवे, लिखथव कविता लेख।।
2)
नगधा मोरे पोस्ट हे, गिधवा हावय गाँव।
जिला हवय बेमेतरा, जिहाँ मया के छाँव।।
3)
महमाया दाई रखे, किरपा अपन अपार।
जेकर महिमा गाव मँय , देवय मया दुलार।।
4)
बी ए हावव मँय पढ़े, जाके जी कालेज।
कम्प्यूटर के ज्ञान हे, अउ जरनल नॉलेज।।
5)
सँगवारी मन के बने, करथव मँय हा सोर।
जिनगी भर सुरता रहे, बाँध मया के डोर।।
6)
सीधा साधा भोकवा, मोला संगी जान।
छत्तीसगढ़ी मोर गा, बोली हे पहचान।।
7)
नान्हे पन के जे बने, हावय मोर मितान।
महतारी भाखा हवे, जग मा मोर महान।।
8)
सुघ्घर भाषा मोर हे, रखथव जेकर मान।
मीठ मीठ बोली हवे, जेकर करव बखान।।
9)
काबर करथे लोग हा, भाषा के अपमान।
छत्तीसगढ़ी मा भरे, कतको हावय ज्ञान।।
10)
विनती करथे हेम हा, मन के आपा खोल।
लाज सरम ला छोड़ के, छत्तीसगढ़ी बोल।।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

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जागव रे (सरसी छंद)

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