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*अरविंद सवैया*

1)
मनखे मन काँटिच हे बन ला, टँगिया हँसिया धरके हर साल।
निमगा पुरवा नइ पावच गा, बनगे जिनगी बर ओहर काल।
तरिया नदिया डबरा पटगे, पनिया बिन रोवत हे सब ताल।
बढ़िया रुखवा ल लगा बन मा, जिनगी बर ये बनही अब ढाल।
2)
गुरु के महिमा तँय गावत गा, बढ़िया मनमा भजले सतनाम।
मनखे मनखे सब एक हवे, सुभ भाव भरे कहिले सतनाम।
तँय मान बने कहना भइया, जिनगी भर जी धरले सतनाम।
दुख दारिद रोग सबो मिटथे, मनमा रखके जपले सतनाम।
3)
पहली चल आवव गा रखबो, हम साफ बने अँगना घर द्वार।
चमके बढ़िया हर खोर गली, सब साफ रहे तरिया अउ पार।
मिलके सब गा सहयोग करौ, अभियान चलाय हवे सरकार ।
तन स्वस्थ रहे मन स्वच्छ रहे, सबके घर हो सुख से परिवार।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जागव रे (सरसी छंद)

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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

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